डी बी एस न्यूज, महराजगंज: नौतनवा ब्लाक में भरस्टाचार की शिकायत पर विभाग द्वारा अनसुनी किये जाने पर नौतनवा ब्लाक के डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स ग्रुप ने जिलाधिकारी से शिकायत की पर उन्होने उल्टे उन्ही से सवाल कर दिया आप हमसे क्या चाहते है।
कहते है इरादे मजबूत हो और यदि हौशलो में उड़ान हो तो बड़े से बड़े रोड़े भी रास्ते को बाधित नही कर पाते।
ऐसा ही एक उदाहरण आज देना पड़ा
बतादे की डीआरजी ने भ्रस्टाचार के शिकायत पहले तो ब्लॉक अधिकारियो से की वहाँ अनसुनी के बाद जिलाधिकारी से मिलने पर भी कोई निष्कर्ष न निकला आला अधिकारियों के मामले को गंभीरता से न लेते देख जनपद संसाधन समूह ने मामले को सीधे माननीय प्रधानमंत्री तक दौड़ा डाला।
इस पर मामले को गंभीरता से लेते हुए भारत सरकार ने उक्त भ्रस्टाचार की शिकायत के जांच करने का आदेश पंचायती बिभाग के प्रदेश सचिव लखनऊ को आदेशित किया है।
जिसकी प्रतिलिपि शिकायतकर्ता के पास भी भेजी गई है।
महराजगंज जिले के जिलाधिकारी महोदय से जनता की आस काफी थी कि वे नौतनवा तहसील के उपजिलाधिकारी भी रहे है जिन्हें नौतनवा की सरजमीं ओर लोगो के बारे में अधिक जानकारी हैं। पर जब लोग उन्हें अपनी समस्या से अवगत कराने लगे तो जिलाधिकारी महोदय सिर्फ शिकायती पत्र ले लेते है और बोलते जांच टीम गठन कर दे रहा हु। लेकिन शिकायत का निपटारा असलियत में नही हो पा रहा। बस शिकायत सिर्फ कागजों तक दबा के रख दी जा रही। नौतनवा नगर पालिका की फर्जी स्टैंड की शिकायत हो या नौतनवा नगर पालिका के सर्वाजनिक रोड को व्यक्तिगत बताकर अवैध कब्जे की शिकायत, सुनोली स्टैंड की शिकायत, नौतनवा नगर पालिका परिषद में करोङो के घोटाले की शिकायत, और नौतनवा आवास योजना को लेकर घोटाले की शिकायत या पंचायतीराज द्वारा ग्राम योजना की बैठक की फर्जी कागजो तक सीमित बैठक, जनसुनवाई पर शिकायतो का अंबार हैं जिन्हें जिले के कुछ कर्मचारियों द्वारा फर्जी निस्तारण कर दिया जा रहा हैं।
जनता के दिलो में पलते सुलगते कुछ ज्वलंत प्रश्न-
क्या जनता अब हो रहे भरस्टाचार को सहन करना सीख ले?
जब जिले के आला अफसर ही कार्यवाही पर निरंकुश हैं।
नौतनवा नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी के खिलाफ दसो शिकायत पर उन्हें प्रतिकूल प्रविष्ठियां देकर अपने उत्तरदायित्व से पल्ला झाड़ लेने वाले आला अफसरों के लिए क्या जनता को सरकार तक अपनी आवाज पहुचाने के अधिकार नही है?
क्या इन अधिकारियों को जो गृहमंत्रालय को बाल विवाह और बाल श्रम को निल दिखाकर अपने उत्तरदायित्व के प्रति उदासीनता जाहिर कर रहे उन्हें अपने कार्यो के प्रति सचेत होने के लिये प्रदेश सरकार द्वारा मुहिम नही चलानी चाहिए?
आखिर शिकायत पर ये अधिकारी क्यों चुप हैं?
इनकी चुप्पी का राज क्या है?