डीबीएस न्यूज: राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019 के प्रारूप की खास बातें तथा इस नीति के तहत शिक्षा के क्षेत्र में उठाये जाने वाले भावी कदम-
1- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा आयोग (NEC) का गठन होगा।
2- MHRD को शिक्षा मंत्रालय कहा जाएगा।
3- प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा को पूरी तरह से स्कूल शिक्षा के साथ एकीकृत किया जाएगा।
4- RTE को कक्षा 12 तक ले जाया जाएगा।
5- प्रत्येक राज्य में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य शिक्षा आयोग का गठन होगा।
6- स्कूल कॉम्प्लेक्स का गठन होगा जहां प्री-प्राइमरी से कक्षा 12 तक के स्कूल होंगे।
7- कम छात्र संख्या वाली स्कूलों का एकीकरण होगा।
8- स्कूली शिक्षा के वर्षों का पुनर्गठन किया जायेगा-
पूर्व प्राथमिक शिक्षा- -3+(1-2)
प्राथमिक शिक्षा-3 से 5
उच्च प्राथमिक-6 से 8
माध्यमिक स्तर-9 से 12
यानी 5+3+3+4
9- राज्य की समग्र शिक्षा व्यवस्था के नियामक के तौर पर राज्य स्कूल नियामक प्राधिकरण (ssra) स्थापित किया जाएगा। सरकारी तथा निजी दोनों स्कूलों के साथ समान व्यवहार किया जाएगा।
10-CRC, BRC, BITES, DITES और SCERT को पुनर्जीवित किया जायेगा।
11- कोचिंग तथा नम्बरों की होड़ को खत्म करने के लिए कक्षा 10 तथा 12 में बोर्ड परीक्षा को समाप्त कर दिया जाएगा। इसकी जगह हर विषय का मॉड्यूल आधारित मूल्यांकन किया जाएगा, जिसे 9 से 12 तक कभी भी लिया जा सकता है।
12- कक्षा 3, 5, 8 में सेंसस परीक्षाएं होंगी। इससे पूर्व की ‘नो डिटेंशन’ नीति के दुष्परिणामों से निजात मिलेगी।
13-कक्षा 6 से 8 तक बुनियादी दक्षताओं को शिक्षा से जोड़ने की बात कही गयी है तथा इनकी शिक्षा के लिए स्थानीय कुशल लोगों को विद्यालय में आमंत्रित किया जायेगा।
14-माध्यम भाषा के रूप में अंग्रेजी की अनिवार्यता के बजाय द्विभाषिकता की बात कही गई है।
15-प्राथमिक कक्षाओं में मातृभाषा के माध्यम से शिक्षण की बात है।
16-त्रिभाषा फार्मूले के तहत उत्तर भारत में दक्षिण की किसी एक भाषा को अनिवार्य रूप से पढ़ने का प्रस्ताव है।
17-निजी स्कूल अपने नाम के साथ “पब्लिक” नहीं जोड़ सकेंगे। इसे उन्हें बदलना होगा।
(शैक्षिक दख़ल द्वारा शिक्षा हित में जारी)
Note- points11 -14 -17