डीबीएस न्यूज, श्रावस्ती: भारत-नेपाल सीमा से सटे श्रावस्ती जिले के भिनगा नगर में करोड़ों रुपये की जमीन फर्जी तरीके से पूर्व विधायक ने अपने नाम करा ली। लेखपाल की दुरभि संधि से खतौनी के खातों में हुए फर्जी प्रविृष्टियों की जांच की गई तो इसकी परतें खुली हैं। एसडीएम ने इस जमीन को यथावत करते हुए तहसीलदार भिनगा को अभिलेखों में अंकन करने के निर्देश दिए हैं।
भिनगा नगर में स्थित गाटा संख्या 757 मि. 758, 1712, 1713, 1714, 1798/2, 1960/18, 2679, 2682, 2683, 2699, 3061 रकबा लगभग 64 बीघा साढ़े सात बिस्वा जमीन नॉन जेड ए की पूर्व खतौनी में आबादी, बंजर, परती व तालाब अंकित है। इस जमीन को पूर्व विधायक राजा चंद्रमणि कांत सिंह ने लेखपाल की मिलीभगत से नॉन जेड ए के राजस्व अभिलेखों में कूटरचना एवं जालसाजी से नए खाते कायम करवा लिए। तहसीलदार भिनगा की ओर से 26 मार्च वर्ष 2003 को अपनी आख्या के साथ वर्ष 1375 फसली से 1408 फसली तक भिनगा नगर के नॉन जेड ए के सभी गाटा संख्याओं का तुलनात्मक विवरण एसडीएम के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इसमें आबादी, बंजर, परती व तालाब की जमीन पर खुदकाश्त राजा चंद्रमणि कांत सिंह, भिनगा राज ठाकुरद्वारा का नाम दर्ज पाया गया। इस आख्या पर तत्कालीन उपजिलाधिकारी ने विषयगत वाद में 20 जुलाई 2003 को आदेश पारित करते हुए इन जमीनों को पूर्ववत उनके मूल खाते में अंकित करने के लिए आदेशित किया। इसके बाद मामला आयुक्त देवीपाटन मंडल व उच्च न्यायालय खंड पीठ लखनऊ तक पहुंचा। उच्च न्यायालय के आदेश पर एसडीएम भिनगा ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान उन्होंने पाया कि नॉन जेडए(गैर ज़मींदारी विनाश) की सार्वजनिक प्रयोजन की भूमियों को किसी व्यक्ति या संस्था के पक्ष में खाते कायम करने का अधिकार लेखपाल को नहीं है। एसडीएम श्रीराम सचान ने बताया कि फर्जी प्रविृष्टियों को निरस्त कर जमीनों को उनके मूल खाते में दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। उधर पूर्व विधायक राजा चंद्रमणि कांत सिंह से बात की गई तो उन्होंने इस मामले में कोई सीधा जवाब नहीं दिया।