डीबीएस न्यूज, लखनऊ: आरटीआई एक्ट की पंद्रहवीं सालगिरह पर सूचना का अधिकार कार्यकर्ता एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आरटीआई एक्ट की ग्लोबल रैंकिंग में आई गिरावट पर चिंता जताते हुए कार्यकर्ताओं की सुरक्षा की मांग उठाई।
डीबीएस न्यूज को सौपे प्रेस विज्ञप्ति में सूचना का अधिकार कार्यकर्ता वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव हरपाल सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश सूचना अयोग व सरकारी संरक्षण पा कर विभागों के उन सूचना अधिकार आरटीआई एक्ट का विचलन कर समय से वांछित सूचनाएं न देकर विद्युत कारपोरेशन रुo 550/-नगर निगम रुo 1600/-तथा जल निगम 1700/-अधिवक्ताओं को एवं पारिश्रमिक देकर अपने स्थान पर उनसे आयोग में पैराकारी कराने का देशद्रोह सरीखा अपराधिक कृत्य कर रहे हैं इसके लिए उनके विरुद्ध धारा-20 (1) के तहत रुo 25000/-तक अधिकतम आर्थिक दंड अधिरोपित करने के साथ धारा-20 (2) के तहत विभागीय कार्यवाही भी होनी चाहिए, जो आयोग द्वारा नहीं की जा रही है कतिपय मामलों में अधोरोपित आर्थिक दंड को विधि विरुद्ध माफ कर सूचना आयुक्तों द्वारा प्रतिमाह लाखों की शासकीय आर्थिक क्षति पहुंचाई जा रही है। आयोग में नामित अधिवक्तागण सूचना आयुक्तों की तरह ही सूचना मांगने वाले आवेदकों को आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना दे रहे हैं। इसी प्रकार सूचनादाता अधिकारियों द्वारा समस्त नियमों को ताक पर रखकर आवेदन में संलग्न रुपए 10/-आवेदन शुल्क बिना सूचना दिए ही गबन कर रहे हैं जो लोकतंत्र की हत्या है।
उन्होंने आगे कहा कि आरटीआई कार्यकर्ताओं को हत्या करने की धमकियां दी जा रही हैं, परंतु उनकी एफ आई आर तक दर्ज नहीं की जा रही है जिनकी एफ आई आर अथक प्रयास से दर्ज हुई है उनकी विवेचना में हीला हवाली की जा रही है। शासन-प्रशासन द्वारा आरटीआई कार्यकर्ताओं को उनके द्वारा सुरक्षा मांगने पर भी सुरक्षा प्रदान नहीं की जा रही है, जिसके विरोध में एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार गोयल के नेतृत्व में दिनांक 12-10-2020, सोमवार को प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इको गार्डन , आलमबाग में दोपहर 12.00 बजे से अनिश्चितकालीन शांतिपूर्ण धरना प्रारंभ कर, जिला/पुलिस प्रशासन के माध्यम से उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यपाल, उत्तर प्रदेश सरकार के माo मुख्यमंत्री माo वित्त मंत्री, माo ऊर्जा मंत्री, माo कानून मंत्री, नगर विकास मंत्री, माo मंत्री आवास एवं सहरी नियोजन, माo शिक्षा मंत्री व मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन, मुख्य मांगे निम्न प्रकार है-
1-नियम समयावधि मेंं आवेदनों का अंतरण ना करने वाले तथा संतोषजनक सूचना न देने वाले सूचना दाता अधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही करते हुए उसकी प्रतिष्ठित उनकी सेवा पुस्तिका में अंकित की जाए।
2-जो जन सूचना अधिकारी सूचना आयोग में स्वयं न जाकर अधिवक्ताओं को विधि व्यवसाय हेतु सूचना के मामलों की पैराकारी में भेज कर प्रशासनिक एवं वित्तीय अनियमितता कर शासन को करोड़ों रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचा रहे हैं। जिसके बीजको पर तत्काल रोक लगाकर इसकी जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग या सीबीआई या विरोध विशेष जांच दल इत्यादि गठित करके वैधानिक कार्यवाही की जाए।
3-उक्त सूचनादाता अधिकारियों के द्वारा वित्तीय अनियमितता के तहत आयोग में सुनवाई के नाम पर जो शासकीय धन का गबन किया गया है उसकी उनसे शत प्रतिशत क्षतिपूर्ति कराते हुए देशद्रोह की धाराओं में पुलिस प्राथमिकी दर्ज कराकर वैधानिक कार्यवाही की जाए।
4-उक्त प्रकार आरटीआई एक्ट के प्रावधानों तथा मैनुअल ऑफ गवर्नमेंट ऑर्डरस, संकरण -1964 के अनुच्छेद-225 में प्रतिपादित सिद्धांत का खुला उल्लंघन कर विधिव्यवसायियों को फीस एवं पारीश्रमिक के नाम पर सरकारी धन लुटाने वालों तथा अधिनियम के कियानवयन मैं बाधा पहुंचाने वालों पर देशद्रोह की धाराओं मैं मुकदमा चलाया जाए!
5-जिन आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या की धमकी की पुलिस प्राथमिकी अभी तक भी दर्ज नहीं की जा रही है उनकी तत्काल पुलिस प्राथमिकी दर्ज कराते हुए पुलिस प्राथमिकी दर्ज न करने वाले पुलिस अधिकारियों को चिन्हित करके उनके विरुद्ध विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही की जाए तथा आरटीआई कार्यकर्ताओं के सुरक्षा के संबंध में जारी शासनादेश 8-03-2016 का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए।
पदाधिकारियों का यह स्पष्ट कहना है कि जब तक उक्त 05 सूत्रीय ज्ञापन/मांग पत्र पर तत्काल करते हुए समस्याओं का निराकरण कर एसोसिएशन को अवगत नहीं कराया जाता है जब तक एसोसिएशन शांतिपूर्ण धरना जारी रखने के लिए बाध्य होगा।