डीबीएस न्यूज, सलेमपुर: जनपद देवरिया के पंचायत प्रतिनिधि महासंघ का एक प्रतिनिधिमंडल सलेमपुर तहसील के ग्राम मिश्रौली, ग्राम सभा रामधार पिपरा जा कर एसडीएम सलेमपुर द्वारा 10 अक्टूबर को ध्वस्त कराए गए 13 घरों और उसके परिवारों से मिल कर उनकी हाल चाल लिया।
प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन द्वारा की गई इस कार्यवाही को गैर जिम्मेदाराना, अत्यंत क्रूर और कायरता पूर्ण कार्यवाही मानते हुए इसकी निंदा की है।
पंचायत प्रतिनिधि महासंघ ने डीबीएस न्यूज को विज्ञप्ति सौप कहा कि इस गांव के बंजर जमीन में चार चार पीढ़ियों से बसे अत्यंत गरीब और भूमिहीन लोगों के इंदिरा आवास को जिस तरह गिराया गया है और विधवा, महिला बुजुर्गों और सद्यः प्रसूता को बेघर कर दिया गया है। इसको देख कर लगता है कि स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने हाईकोर्ट को इन गरीबों की स्थिति से अवगत नहीं कराया, इनकी पैरवी नहीं की और हाई कोर्ट के एकतरफा फैसले को आधार बनाकर अत्यंत क्रूरता पूर्वक इनके घरों को ढहा दिया गया।
आश्चर्यजनक बात है कि अतिक्रमण हटाने के इस तर्क को सम्पूर्ण ग्राम सभा के स्तर पर भी लागू नहीं किया गया है यदि एसडीएम ने गांव सभा के सभी पोखर बंजर की जमीनों को या अपने तहसील क्षेत्र के सभी इस नवैयत की जमीनों को विधि सम्मत तरीके से खाली कराने का प्रयास किया होता तो उन्हें जागरूक अधिकारी माना जाता। यहां उन्होंने अपनी लापरवाही के चलते हाई कोर्ट में अपना, जनता का पक्ष ना रखकर भारी अपराध किया है। 40- 50 वर्षों से बसे गरीब लोगों के घरों, इंदिरा आवास को ढहा कर इस कठिन समय में उनके जीने के अधिकार अनुच्छेद 21 का उल्लंघन किया गया है ,और अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार राजस्व अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। पचास साठ सालों से मातृभूमि के इस हिस्से पर बसने वालों को उजाड़ने का अधिकार कोई कानून नहीं देता, यदि उसके साथ प्रशासनिक अधिकारियों का झूठ और दुर्भावना न जुड़ी हो।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि दुखद है कि देवरिया जिले के वर्तमान जिलाधिकारी के नेतृत्व में सिर्फ गरीबों किसानों और मजदूरों को बेदखल किया जा रहा है। भू माफियाओं, प्राइवेट नर्सिंग होम चलाने वालों और धन पतियों को ग्राम सभा की जमीनों पर अवैध कब्जा कराया जा रहा है।
आज जरूरी है कि मिश्रौली गांव में ध्वस्त किए गए घरों से बेघर हुए लोगों को तुरंत आवासीय व्यवस्था मुहैया कराई जाए। उनके हुए नुकसान का हर्जाना दिया जाए। उनको पूरा संरक्षण दिया जाए और हाईकोर्ट में सही तथ्यों की प्रस्तुति नहीं करने वाले गैर जिम्मेदार अधिकारियों पर दंडात्मक कार्यवाही भी सुनिश्चित की जाए।
प्रतिनिधिमंडल में प्रमुख रूप से डॉ चतुरानन ओझा, पूर्व सांसद आस मोहम्मद, प्रेमचंद यादव, सुजीत सोनू, विजय कुमार आदि ने भागीदारी की।