लखनऊ वाराणसी तथा गोरखपुर में रोप वे/ केबल कार चलाई जाएगी। इसकी कवायद तेज हो गयी है। शासन के निर्देश पर लखनऊ विकास प्राधिकरण ने इसके सर्वे के लिए कम्पनियों से आफर मांगा था। दोनों शहरों में स्टडी के लिए एक कम्पनी आगे आयी है। वाराणसी में इसकी जिम्मेदारी राइट्स को दी गयी है। राइट्स ही वाराणसी में मेट्रो के सर्वे व डीपीआर का काम करा रही है।
प्रधानमंत्री के वाराणसी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर क्षेत्र में पहले मेट्रो पहले चलाने का प्रस्ताव तैयार हुआ था लेकिन अब इसके साथ शासन ने रोप वे का विकल्प भी तलाशा है। शासन के आवास विभाग ने गोरखपुर में रोपवे के सर्वे के लिए कम्पनी तलाशने की जिम्मेदारी एलडीए को दी थी। एलडीए ने इसके लिए टेण्डर आमंत्रित किया था। इसके लिए एक कम्पनी आगे आयी है। 17 अक्तूबर को शासन में हुई बैठक में वाराणसी में मेट्रो प्रोजेक्ट के सर्वे व डीपीआर का काम करने वाली रेलवे की संस्था राइट्स को ही रोपवे के सर्वे व अन्य रिपोर्ट को तैयार करने की जिम्मेदारी देने का निर्णय हुआ। हालांकि राइट्स रोप वे के सर्वे के लिए इच्छ़ुक नहीं थी। फिलहाल दोनों शहरों में मेट्रो के विकल्प के रूप में रोप वे पर फोकस किया जा रहा है। मेट्रो व रोप वे दोनों की स्टडी रिपोर्ट आने के बाद शासन इस पर अंतिम फैसला लेगा। अधिकारियों का कहना कि अभी इसके के लिए देश में न तो कोई अथॉरिटी नहीं है और न ही कोई पालिसी बनी है।
रोपवे के निर्माण में मेट्रो से 10 गुना कम आएगी लागत
रोप वे के निर्माण में मेट्रो से कम लागत आएगी। इसका काम देख रहे एलडीए के अधीक्षण अभियन्ता चक्रेश जैन ने बताया कि मेट्रो के निर्माण में बहुत ज्यादा लागत आती है जबकि स्काई टैक्सी/रोपवे का निर्माण मेट्रो से 10 गुना कम में किया जा सकता है। इसीलिए रोपवे की बात चल रही है। गोरखपुर व वाराणसी दोनों शहरों में इसके लिए स्टडी कराई जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद तस्वीर साफ होगी।