डीबीएस न्यूज, नौतनवां: भारत नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा सोनौली पर चेक पोस्ट बनाने को लेकर एक बार फिर से सरकार की मनमानी का विरोध जोर पकड़ लिया है।
आज शनिवार को सीमावर्ती क्षेत्र के किसान एकजुट होकर अपनी उपजाऊ जमीन की उचित मुवावजे को लेकर लामबंद हो गए है।
किसानों का यह साफ कहना है कि वे 17 लाख प्रति एकड़ में अपनी उपजाऊ भूमि देने को हरगिज राजी नही होंगे चाहे इसके लिए उन्हें किसी भी हद तक जाना पड़े। किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि कोई भी प्रशासनिक अधिकारी किसानों से स्पष्ट वार्ता नहीं करता।
आपको बता दे की शनिवार की दोपहर किसानो का एक समूह सड़क पर आकर नारेबाजी करने लगे। किसानों का साफ तौर पर कहना था कि उन्हें अपनी जान देने मंजूर होगा लेकिन इतने कम कीमत पर सरकार को जमीन नही देंगे।
मतलब साफ है कि सोनौली सीमा पर बनने वाले अंतरराष्ट्रीय चेक पोस्ट निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में किसानों को उनकी जमीनों की मिल रही काफी कम कीमतों को लेकर वे काफी आक्रोश में है। किसानों का कहना है कि सरकार उनकी भूमि जबरन हड़पना चाहती है।
किसानों का कहना है कि जिस स्थान पर इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट के लिए करीब 120 एकड़ भूमि मिल रही है। वहां का बाजार मूल्य 1.5 से 2 करोड प्रति एकड़ है। वर्ष 2004 से भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू हुई है। वर्ष 2010 में कुछ किसानों को 80 लाख रुपया प्रति एकड़ की दर से भूमि अधिग्रहित की गई। वर्ष 2016 में 1 करोड़ 32 लाख प्रति एकड़ की दर से सहमति पत्र बना। लेकिन अब करीब 17 लाख प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने की बात कही जा रही है।
इस दौरान किसान बैजू यादव, प्रेम सिंह, छेदी यादव, इंतजार हुसैन, रामआसरे प्रजापति, रामप्रीत विश्वकर्मा, रफीक अहमद, मुनव्वर अली, शमशाद अली, रामायण यादव, ठागे यादव, जोखन प्रसाद व रमेश विश्वकर्मा आदि किसान मौजूद रहे।