सीबीआई के दो आला अधिकारियों के बीच मचा घमासान अब अदालत की दहलीज पर पहुंच गया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए सीबीआई को निर्देश दिया कि वह एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही में यथास्थिति बरकरार रखे. वहीं एक निचली अदालत ने घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार किए गए एजेंसी के डीएसपी देवेंद्र सिंह को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया.
अदालत में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि अस्थाना और देवेंद्र सिंह के खिलाफ जबरन वसूली और जालसाजी के आरोप जोड़े गए हैं. कुमार को कथित तौर पर घूस लेने, रिकॉर्ड में हेरफेर के मामले में सोमवार को गिरफ्तार किया गया था.
अस्थाना ने अपने ऊपर दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर न्यायाधीश ने सीबीआई से कहा कि वह मामले में विशेष निदेशक के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही पर 29 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखे. अदालत ने हालांकि साफ किया कि मामले की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए इस मामले में जारी जांच पर किसी तरह का स्थगन नहीं है.
तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच देवेंद्र सिंह ने अपने खिलाफ दायर प्राथमिकी को रद्द करने और मामले से जुड़े दस्तावेजों को सौंपे जाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
इसके बाद गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी अस्थाना ने भी हाईकोर्ट में ऐसी ही एक याचिका दायर की. अस्थाना का आरोप है कि विवादास्पद मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में सीबीआई निदेशक द्वारा कथित तौर पर उनके नेतृत्व में हो रही जांच में हस्तक्षेप किया जा रहा है. अस्थाना इस बारे में भ्रष्टाचार निरोधक निगरानीकर्ता, केंद्रीय सतर्कता आयोग को लगातार लिखते रहे हैं.
अदालत ने सीबीआई की प्रशासनिक शाखा कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को भी नोटिस जारी किया है. नौकरशाहों के खिलाफ जांच के लिए विभाग की मंजूरी लेना जरूरी होता है.
कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान अस्थाना के वकील ने जस्टिस वजीरी के समक्ष कहा कि एक आरोपी के बयान के आधार पर विशेष निदेशक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. उन्होंने कहा कि इसे लेकर काफी ‘दुख’ है. न्यायधीश ने हालांकि कहा कि यह दुर्भावना से लगाए गए आरोपों के परीक्षण का मंच नहीं है.
वहीं सीबीआई के वकील ने कहा कि आईपीसी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें आपराधिक साजिश शामिल है और उन्होंने आरोपियों के खिलाफ जबरन वसूली और जालसाजी से जुड़ी और धाराएं भी जोड़ी हैं.
इस दौरान अदालत ने अस्थाना के वकील की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मामले में आगे की कार्यवाही को स्थगित करने की मांग की गई थी. जज ने कहा, ‘कुछ नहीं होगा. कल महर्षि वाल्मीकि जयंती है, कुछ नहीं होगा.’ उन्होंने अदालत से कहा कि ‘आज के संतुलन को बाधित नहीं करें.’
मांस कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले में जांच अधिकारी रहे डीएसपी पर कारोबारी सतीश सना के बयान दर्ज करने में धोखाधड़ी के आरोप हैं. सना ने आरोप लगाया था कि उन्होंने इस मामले में राहत पाने के लिए रिश्वत दी थी. उसे विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष पेश किया गया जिसने उसे सात दिनों की सीबीआई हिरासत में भेज दिया.
अदालत ने अपराध को ‘गंभीर’ करार दिया और इस बात को रेखांकित किया कि आरोपियों समेत लोक सेवकों की संलिप्तता के गंभीर आरोप हैं. लोक सेवकों पर जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि वे जांच की आड़ में चल रहे जबरन वसूली रैकेट का हिस्सा हैं. अदालत ने यह भी कहा कि मामले में घारा 17-ए के तहत सरकार से मंजूरी भी नहीं ली गई. अदालत का मामले में 29 अक्टूबर तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश अस्थाना की याचिका पर जारी किया गया है.
वहीं एजेंसी के पुलिसउपाधीक्षक देवेंद्र कुमार ने भी आरोप लगाया कि कार्यवाही सिर्फ पद के दुरुपयोग को नहीं दिखातीं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि अवैध उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए उन्हें किस तरह ‘बलि का बकरा’ बनाया जा रहा है.