डीबीएस न्यूज, नौतनवां: मनुष्य ही परमात्मा का सर्वोच्च साक्षात् मंदिर है साकार देव का पूजन करें उक्त बाते सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज नौतनवा प्रधानाचार्य जन्मेजय सिंह ने युवा दिवस पर अपने संबोधन में कहीं। उन्होंने युवाओंं को संबोधित करतेे कहा कि युवा शक्ति देश और समाज की रीढ़ होती है। युवा देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं। युवा देश का वर्तमान हैं, तो भूतकाल और भविष्य के सेतु भी हैं। युवा देश और समाज के जीवन मूल्यों के प्रतीक हैं। युवा गहन ऊर्जा और उच्च महत्वकांक्षाओं से भरे हुए होते हैं। उनकी आंखों में भविष्य के इंद्रधनुषी स्वप्न होते हैं। समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान युवाओं का ही होता है। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में युवाओं ने अपनी शक्ति का परिचय दिया था। परंतु देखने में आ रहा है कि युवाओं में नकारात्मकता जन्म ले रही है। उनमें धैर्य की कमी है। वे हर वस्तु अति शीघ्र प्राप्त कर लेना चाहते हैं। वे आगे बढ़ने के लिए कठिन परिश्रम की बजाय शॊर्टकट्स खोजते हैं। भोग विलास और आधुनिकता की चकाचौंध उन्हें प्रभावित करती है। उच्च पद, धन-दौलत और ऐश्वर्य का जीवन उनका आदर्श बन गए हैं। अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करने में जब वे असफल हो जाते हैं, तो उनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है। कई बार वे मानसिक तनाव का भी शिकार हो जाते हैं। युवाओं की इस नकारात्मकता को सकारात्मकता में परिवर्तित करना होगा। उन्हें स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा लेनी होगी। उल्लेखनीय है कि 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के कायस्थ परिवार में जन्मे स्वामी विवेकानन्द ने अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व कर उसे सार्वभौमिक पहचान दिलाई। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने उनके बारे में कहा था-“यदि आप भारत को जानना चाहते हैं, तो विवेकानन्द को पढ़िये। उनमें आप सब कुछ सकारात्मक ही पाएंगे, नकारात्मक कुछ भी नहीं।”
इस अवसर पर विद्यालय के संस्थापक कैलाश नाथ सिंह सुरेश सिंह, दिवाकर पांडेय, शिव प्रसाद मिश्र, नंदलाल सिंह, अब्दुल कलाम, ओम प्रकाश मिश्र, अमित मिश्र, श्यामू यादव, सावन कुमार, आयुषी, आस्था, मोनी, प्रिया सहित समस्त छात्र/ छात्रा व कर्मचारी उपस्थित रहें।