रिपोर्टर रतन गुप्ता 24 May 2023
डीबीएस न्यूज, गोरखपुर: दृष्टि जायसवाल का कहना है कि चौथे अटेम्प्ट में मैंने यह सफलता पाई है। माता पिता और भाई के साथ मित्रों का बेहद प्रोत्साहन मिला, जिसकी वजह से मुझे और मेरे परिवार को खुश होने का मौका मिला है। हालांकि एक बार मैं भी हतोत्साहित हो गई थी, लेकिन मम्मी और पापा सहित मेरे भाई जो मेरे आदर्श भी है ने मुझे संभाला और हिम्मत को टूटने नहीं दिया।
दृष्टि ने परीक्षा में 255वी रैंक हासिल कर परिवार सहित शहरवासियों को गौरवान्वित किया है। बिटिया की इस सफलता पर जहां परिवार के लोग बेहद खुश हैं, वहीं मोहल्ले वाले भी ढोल नगाड़ों के साथ मिठाई बांट कर खुशियां मना रहे हैं।
यूपीएससी 2022 का परिणाम घोषित हो चुका है हर बार की तरह परीक्षा में बेटियों ने फिर से बाजी मारी है। जहां प्रदेशभर में बेटियों ने टॉप किया है। वही गोरखपुर की भी दो बेटियों ने सफलता के परचम लहराए हैं। गोरखपुर के मोहद्दीपुर निवासी रमाशंकर जयसवाल की बिटिया दृष्टि जयसवाल ने 255वीं रैंक हासिल कर परिवार सहित मोहल्ले वालों को खुश होने का एक बड़ा मौका दिया है। परिणाम आने के बाद से ही दृष्टि के घर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है, लोग अपने मोहल्ले की इस बेटी की सफलता पर खुद गौरवान्वित महसूस करते हुए बेहद उत्साहित है और दृष्टि के घर पहुंच कर फूल मालाओं से स्वागत कर एक दूसरे का मुंह मीठा कराते हुए ढोल नगाड़ों की थाप पर नाच भी रहे हैं।
सफलता का मूलमंत्र सिर्फ और सिर्फ हार्डवर्क
दृष्टि जायसवाल का कहना है कि चौथे अटेम्प्ट में मैंने यह सफलता पाई है। माता पिता और भाई के साथ मित्रों का बेहद प्रोत्साहन मिला, जिसकी वजह से मुझे और मेरे परिवार को खुश होने का मौका मिला है। हालांकि एक बार मैं भी हतोत्साहित हो गई थी, लेकिन मम्मी और पापा सहित मेरे भाई जो मेरे आदर्श भी है ने मुझे संभाला और हिम्मत को टूटने नहीं दिया।
दृष्टि जायसवाल कहती हैं कि मेरी सफलता का सिर्फ एक ही मूल मंत्र है, हार्डवर्क जो मैंने किया और आज उसका परिणाम सबके सामने है। दृष्टि देश हित के लिए काम करना चाहती हैं उनका कहना है कि मैं अपने कर्तव्य का निर्वहन ईमानदारी से कर सकूं यही मेरी प्राथमिकता होगी, क्योंकि मेरे पापा और मम्मी ने मेरे लिए बहुत संघर्ष किया है। पिताजी की दुकान जब ठीक से नहीं चल रही थी तो समस्याएं आनी शुरू हो गई थीं। लेकिन ईश्वर का साथ था और माता पिता का आशीर्वाद बड़े भैया को बैंक में नौकरी मिल गई बाद मेरी पढ़ाई सुचारू रूप से जारी रही। दृष्टि कहती हैं कि बड़े भाई के प्रोत्साहन से दिल्ली में कोचिंग करने का मौका मिला, जिससे मुझे सफल होने में मदद मिली। मेरी दिली इच्छा है कि बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं के लिए जितना हो सके अधिक से अधिक कर सकूं।
भावुक पिता ने कहा मैं बेहद खुश हूं
दृष्टि के पिता रमाशंकर जायसवाल चार फाटक रोड पर किराने की दुकान चलाते हैं। बेटी की सफलता पर रामाशंकर बेहद भावुक होकर कहते हैं कि छोटी सी दुकान से ही मैंने अपने परिवार का खर्च और बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी पूरी की है। रामाशंकर आगे कहते हैं कि दुकान पिछले कुछ वर्षों से अच्छी नहीं चल रही है, कई बार मन विचलित हो गया, बच्चों की पढ़ाई में आ रहे खर्च को पूरा करना भी मुश्किल हो गया था। लेकिन पत्नी की हिम्मत और बेटी के हौसलों ने मुझे टूटने नहीं दिया। किसी तरह कर्ज लेकर मैंने अपनी बेटी की पढ़ाई जारी रखी। इस दौरान बहुत सी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन बेटी की मेहनत और लगन शीलता देखकर मैंने ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए बिटिया के हौसलों को पस्त होने नहीं देना है। आज जब बेटी ने मेरा सर गर्व से ऊंचा कर दिया है तो सारी समस्याएं और दुखों का निवारण हो चुका है, यह पूछने पर कि आपको कैसा लग रहा है, रमाशंकर का गला रूंध जाता है और आंखो में खुशी के आंसू लिए बस इतना ही कह पाते हैं कि बेहद खुश हूं।
बेटी की सफलता पर मां का क्या कहना है
दृष्टि की मां एक हाउसवाइफ है जो अपनी बेटी की सफलता पर बेहद खुश हैं, ढोल नगाड़ों के बीच नाचते हुए लोगों का मुंह मीठा करा रही है, जब उनसे पूछा गया कि क्या कहेंगी बेटी की सफलता पर तो चेहरे पर मुस्कान लिए कहा कि यह बेटी की मेहनत और लगन शीलता का परिणाम है हमने तो सिर्फ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है। मैं चाहती हूं कि मेरी बेटी की तरह ही अन्य बेटियां भी मेहनत करें और सफल हों।