रिपोर्टर रतन गुप्ता
डीबीएस न्यूज। नौतनवा मे भूमि खरिदने के बाद भूमाफिया का से निपटना पडता है बिना दिये रजिस्टी के कागज फसे पडे रहते है ।
एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने कहा कि फर्जीवाड़ा करके भूमि बेचने के मामले सामने आते हैं। ऐसे प्रकरणों की जांच करके मुकदमा दर्ज कराया जाता है। भूमि खरीदने वाले लोगों को बारीकी से छानबीन के बाद ही खरीदारी करनी चाहिए।
शहर हो या उसका बाहरी इलाका, कहीं से भी गुजरते हुए आपको प्रापर्टी डीलरों के बैनर-पोस्टर नजर आ जाएंगे। आकर्षक दामों पर जमीनों की खरीद फरोख्त की सूचना पढ़कर झांसे में आने पर आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। हो सकता है कि आप ऐसी भूमि खरीद लें, जिसका पहले से कोई मालिक हों, या फिर वह भूमि सरकारी हो। ऐसे में उस भूमि पर कब्जा तो मिलेगा नहीं, अलबत्ता थाने से लेकर कचहरी तक चक्कर काटने की नौबत आ जाएगी। आप के मेहनत की गाढ़ी कमाई डूबने का खतरा भी रहेगा।
क्योंकि शहर में सक्रिय तमाम प्राॅपर्टी डीलर लोगों को भूमि बेचने के नाम पर ठगी कर रहे हैं। एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर का कहना है कि अधिकृत फर्मों के अतिरिक्त किसी भी प्राॅपर्टी डीलर के झांसे में आने पर जालसाजी के शिकार हो सकते हैं। ऐसे में भूमि खरीदने में काफी सावधानी बरते
शहर के मेडिकल कॉलेज रोड, मानीराम रोड, बालापार रोड, गोरखपुर वाराणसी और लखनऊ हाइवे, देवरिया और कुशीनगर रोड पर बड़ी संख्या में प्रॉपटी डीलरों के ऑफिस और बोर्ड नजर आते हैं। इनके सहयोगी निबंधन कार्यालय और तहसील में भी सक्रिय रहते हैं। किसानों से एग्रीमेंट कराकर ऐसे प्रॉपर्टी डीलर भूमि की सौदेबाजी करते हैं। ग्राहकों को लुभाते हुए रजिस्ट्री के बाद तत्काल कब्जा और फिर खारिज दाखिल कराने की बात कहते हैं। जमीन बेचने के लिए वह तमाम लोगों का नाम लेकर भरोसा भी दिलाते हैं।
लेकिन, कई मामलों में भूमि खरीदने के बाद मालूम होता है कि विक्रेता ने धोखाधड़ी की है। उसने जिस भूमि को बेचा है। उसका मालिक कोई और है या वह प्राॅपर्टी सीलिंग या अन्य कोई सरकारी अमानत है। ऐसे में खरीदार की पूंजी डूबती है। यदि किसी तरह कब्जा भी हो गया तो उसे अतिक्रमण मानकर प्रशासन कभी भी कार्रवाई कर सकता है। पूर्व में इस तरह की ठगी के शिकार तमाम लोग हो चुके हैं।
जंगल हकीमपुर नंबर दो निवासी सुरेंद्र ने एक प्रॉपर्टी डीलर के जरिए भूमि की सौदेबाजी की। 21 लाख रुपये में सौदा तय हुआ। कुछ रुपये का लेनदेन नकद हुआ। बाद में सामने आया कि जिस भूमि का सौदा तय हुआ था। उस पर विवाद है। इसलिए खरीदार ने अपने रुपये मांगे। तो सौदेबाजी करने वाले ने वर्ष 2021 तीन लाख रुपये का चेक दिया। जो बैंक खाते में रकम नहीं होने से बाउंस हो गया। इसकी शिकायत करने पर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। पीड़ित ने कोर्ट में वाद दाखिल किया है।
केस दो: दूसरे की भूमि दिखाकर की धोखाधड़ी, पुलिस ने पकड़ा
28 मार्च 2023 को पुलिस ने गोरखनाथ थाना क्षेत्र के राजेंद्र नगर निवासी बृजेश कुमार शाही को गिरफ्तार किया। वह दूसरे कास्तकारों की भूमि दिखाकर, किसी और बेच देता था। जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद जब लोग कब्जा नहीं पाते, तो बात समझ में आती। रुपये मांगने पर वह लोगों को जानमाल की धमकी भी देता था। उसके खिलाफ शिकायत आने पर पुलिस ने कार्रवाई की। आरोपी ने पुलिस को वह बताया कि दूसरे की भूमि दिखाकर रजिस्ट्री कराकर लोगों के रुपये हड़प लेता था।
प्रॉपर्टी डीलरों से भाईचारा, आसानी से कार्रवाई नहीं करती पुलिस
वर्ष 1989 से दीवानी कचहरी में विधि व्यवसाय कर रहे अधिवक्ता अनिल कुमार ने बताया कि पिछले 10 साल के भीतर भूमि से संबंधित इस तरह के मामले बढ़े हैं। प्राॅपर्टी डीलर लोगों को झांसे में लेकर किसी की भूमि किसी को बेच देते हैं। इसकी जानकारी लोगों को तब होती है, जब वह भूमि पर कब्जा करने जाते हैं। या फिर गहराई से छानबीन होती है। ऐसे तमाम प्रकरण शाहपुर, गुलरिहा, चिलुआताल, खोराबार, कैंट और रामगढ़ताल क्षेत्र में सामने आते हैं।
बकौल अधिवक्ता भूमि का बैनामा कराने के दौरान लोग तय रकम का भुगतान कर देते हैं। जालसाजी सामने आने पर खरीदार को थाने से लेकर कचहरी तक दौड़भाग करनी पड़ती है। ऐसे मामलों में थानों की पुलिस आसानी से कार्रवाई नहीं करती। क्योंकि अधिकांश प्रॉपर्टी डीलर थाने वालों के परिचित होते हैं। यदि किसी मामले में काफी दबाव पड़ा तो प्रॉपर्टी डीलर सौदा रद करते हुए रकम वापस कर देते हैं। अधिकांश प्रकरणों में मुकदमा दर्ज कराने से लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने में पीड़ित फंसे रहते हैं। एक ओर उनकी मेहनत की कमाई जमीन खरीदने में डूबती है। दूसरी ओर बचीखुची रकम मुकदमों में खर्च होती है।
कितने प्रॉपर्टी डीलर हैं पंजीकृत, रिकॉर्ड तहसीलो में भी नहीं
अधिवक्ताओं के मुताबिक शहर में कितने प्राॅपर्टी डीलर पंजीकृत हैं। इसकी जानकारी किसी को नहीं होती है। इसका कोई रिकार्ड तहसील में नहीं है। इसलिए इनके बारे में लोगों को सही जानकारी नहीं हो पाती है। अधिवक्ताओं का कहना है कि प्राॅपर्टी कारोबारियों का पुलिस वेरीफिकेशन (सत्यापन) होना चाहिए। कोई शिकायत आने पर सही जांच होनी चाहिए।
अधिवक्ता रवि प्रकाश के अनुसार रेरा (रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी) की स्थापना रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट) अधिनियम, 2016 के तहत की गई है। इसके तहत रियल स्टेट कारोबारी रजिस्ट्रेशन कराते हैं। छोटे प्रॉपर्टी डीलर इसके बारे में सोचते ही नहीं हैं। किसी प्लाट, बिल्डिंग या अपार्टमेंट की खरीद बिक्री के लिए रेरा में रजिस्ट्रेशन जरूरी है। जिसका रेरा में रजिस्ट्रेशन नहीं है। वह प्रॉपर्टी डीलर या एजेंट विज्ञापन, बिक्री के ऑफर इत्यादि का प्रचार नहीं कर सकता है।
झांसा देते हैं प्रॉपर्टी डीलर, बेच देते नजूल, सीलिंग की जमीन
रजिस्ट्री कार्यालय में रजिस्ट्री के लिए जाने वाले लोगों को मना नहीं किया जा सकता है। इसका फायदा जालसाज उठाते हैं। यदि किसी भूमि के खाता संख्या की रजिस्ट्री पर रोक होती है, तो उसका डाटा फीड होने पर बैनामा करने वाले कर्मचारी जांच कर लेते हैं। अन्य मामलों में वह नहीं जान पाते कि बैनामा किस तरह की भूमि हो रहा है। इसका बेजा फायदा उठाकर प्रॉपर्टी डीलर लोगों को सीलिंग और नजूल की भूमि भी बेच देते हैं। वर्ष 2021 में तत्कालीन जिलाधिकारी विजय किरन आनंद के कार्यकाल में सीलिंग की जमीन का सौदा करने का मामला सामने आया था।
महादेव झारखंडी टुकड़ा नंबर तीन में प्रॉपर्टी डीलर 10 साल से जमीन बेच रहे थे। जालसाजों ने धोखाधड़ी करके 63 से अधिक लोगों को भूमि बेच दी थी। मामला सामने के बाद से महादेव झारखंडी टुकड़ा नंबर तीन की जमीनों की बिक्री पर रोक लग गई। इसके अलावा प्रॉपर्टी कारोबारी किसी दूसरे की भूमि दिखाकर सौदेबाजी करते हैं। पूर्व में बिकी जमीनों को दो से तीन बार बेच दिया जाता है। इस तरह का खेल तब खुलता है जब खारिज दाखिल और नामातंरण या फिर लोग कब्जा करने जाते हैं।
पूर्व में इन जगहों पर सामने आए हैं भूमि के विवाद
जंगल धूसड़
बहरामपुर
जंगल छत्रधारी
महादेव झारखंडी टुकड़ा नंबर एक, दो और तीन
इस वजह से लोग होते हैं परेशान
किसी के बहकावे में आकर लोग सस्ते दाम पर जमीन खरीद लेते हैं।
भूमि बेचने वाले प्रॉपर्टी लोगों को झांसे में रखते हैं। किसी को सही जानकारी नहीं देते।
खारिज दाखिल नहीं होने के बाद लोगों को परेशान होना पड़ता है।
विक्रेता रुपये नहीं लौटाते हैं। रुपये की वापसी के लिए थानों का चक्कर लगाना पड़ता है।
मुकदमा दर्ज कराने के बाद प्राॅपर्टी डीलर को दी रकम के वापसी की उम्मीद नहीं रहती।
एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने कहा कि फर्जीवाड़ा करके भूमि बेचने के मामले सामने आते हैं। ऐसे प्रकरणों की जांच करके मुकदमा दर्ज कराया जाता है। भूमि खरीदने वाले लोगों को बारीकी से छानबीन के बाद ही खरीदारी करनी चाहिए। नौतनवा मे भूमि खरिद बिक्री.मे के कई मामले चर्चा मे जिसकी जाच हो रही है ।