रिपोर्टर रतन गुप्ता सोनौली
- क्राइम ब्रांच ने 13 किलो चरस और एक किलो अफीम के साथ किया अरेस्ट
- पुलिस की नजर में न आएं, इसलिए तस्कर पब्लिक ट्रांसपोर्ट से चलते थे
- ट्रेन की जनरल बोगी में करते थे सफर, बाद में रोडवेज बस से जाते थे आगे
डीबीएस न्यूज, सोनौली: देश में नशे की खेप नेपाल से भेजी जा रही। बुर्के में महिलाएं अफीम और चरस लेकर आती हैं। पुलिस से बचने के लिए हमेशा ट्रेन की जनरल बोगी में सफर करती हैं। ट्रेन से उतरने के बाद रोडवेज बस से आगे जाती हैं। नेपाल से दिल्ली एनसीआर तक नशे की खेप पहुंचाई जाती है। यहां से देश के बाकी हिस्सों में सप्लाई के लिए दूसरा गैंग जुड़ जाता है। क्राइम ब्रांच ने 4 महिलाओं समेत 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। एडीसीपी क्राइम सच्चिदानंद ने बताया कि 13 किलो चरस और एक किलो अफीम बरामद हुई है। शैगुल निशा, जोहरा, मोमीना, रोशन और सलीम को गिरफ्तार किया गया है। सभी आरोपी मोतिहारी (बिहार) के हैं। नेपाल से नशे की खेप सुनित भेजता था। दिल्ली एनसीआर पहुंचने के बाद आगे सप्लाई के लिए दूसरा गैंग मिलता था। गिरफ्तार तस्करों से पूछताछ के बाद कुछ और लोगों की तलाश चल रही है।
हर राज्य में पहुंचाई जाती है खेप
पुलिस के अनुसार, पहली बार भारी मात्रा में नशे की तस्करी कराने वाले सरगना का नाम पता चला है। 12 हजार रुपये प्रति डिलिवरी के हिसाब से तस्करों को रखा गया था। शैगुल नशा सरगना सुनित के संपर्क में थी। वह डिलिवरी के लिए तस्कर उपलब्ध कराती। डिलिवरी होने पर उसका कमीशन मिलता था। पूछताछ में पता चला है कि गैंग ने यूपी, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा के साथ ही दक्षिण भारत के कई राज्यों में नशे की खेप पहुंचाई है। कर्नाटक में भी गैंग के कई लोग एक्टिव हैं। वहां नशे की खेप पहुंचने के बाद आगे की सप्लाई का जिम्मा उनका होता था। नेपाल से सुनित अपने साथियों की मदद से रोज 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की खेप भारत में भेजता है। एडीसीपी ने बताया कि तस्करों की पूरी चेन बनी थी। हर तस्कर का काम पहले से डिसाइड होता था। बाकी बदमाशों की तलाश चल रही है।
इस तरह NCR में पहुंचता था नशा
पूछताछ में गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि तस्करी में हमेशा महिलाओं को शामिल किया जाता था। वे बुर्के में रहती थीं। पैरों में निकैप पहनकर उसी में नशीला पदार्थ छिपा लेती। सोनौली बॉर्डर तथा बिहार के विभिन्न हिस्सों से गोरखपुर तक बस से आती थीं। गोरखपुर पहुंचने के बाद ट्रेनों के जनरल कोच में ये महिलाएं बैठ जाती थीं। भीड़ ज्यादा होने और बुर्के में होने की वजह से कोई ध्यान नहीं देता था। बुर्के की वजह से शरीर में बंधा हुआ नशे का बंडल भी निगाह में नहीं आता था। ट्रेन से उतरने के बाद गैंग के दूसरे तस्कर मिल जाते थे। वहां से आगे की डिलिवरी का जिम्मा उनका होता था। सोनौली बॉर्डर तक नेपाल मे बैठा सुनित चरस, अफीम को भेजता है ।