डीबीएस न्यूज, नई दिल्ली: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के तारे गर्दिश में हैं। पाकिस्तान में इमरान खान पर विपक्ष तो हमलावर था ही जैसा जनता का रुख है उसने भी इमरान खान की मुश्किलें बढ़ा दी है। रविवार को सिंध के सान कस्बे में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया। रैली में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बैनर और पोस्टर भी देखने को मिले। पीएम मोदी के अलावा कई अन्य बड़े देशों के नेताओं के पोस्टर भी इस रैली में थे। प्रदर्शन करने वाले लोग अलग सिंधु देश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में नारे लगा रहे थे। इसके साथ ही प्रदर्शनकारी पीएम मोदी से सिंध को अलग गेश बनाने के लिए समर्थन भी मांग रहे थे।
आंदोलन कर रहे लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पोस्टर के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदरशन कर रहे लोग अलग सिंधु देश बनाने की मांग कर रहे हैं। रविवार को लोग पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लोग दुनियाभर के कई नेताओं के पोस्टर के साथ सड़क पर आंदोलन करने के लिए उतरे। लोगों ने विश्व नेताओं से अलग सिंधु देश बनाने में मदद की मांग की है।
#WATCH: Placards of PM Narendra Modi & other world leaders raised at pro-freedom rally in Sann town of Sindh in Pakistan, on 17th Jan.
Participants of the rally raised pro-freedom slogans and placards, seeking the intervention of world leaders in people's demand for Sindhudesh. pic.twitter.com/FJIz3PmRVD
— ANI (@ANI) January 18, 2021
सिंधु देश’ जिसका शाब्दिक अर्थ होता है सिंधियों के लिए अलग देश सिंधु देश एक विचार है जो पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बसे और दुनिया भर में फैले सिंधियों का एक सपना है। ये सिंधी दुनिया दूसरे एथनिक समुदायों की तरह अपने लिए एक अलग होमलैंड की मांग करते आ रहे हैं। जैसे कुर्द अपने लिए अलग देश की मांग करते हैं, यहूदी समुदाय के लोगों ने इजरायल नाम का अपना देश बनाया है, उसी तरह सिंधी पाकिस्तान के अंदर एक निश्चित भूभाग में अपने लिए एक स्वतंत्र और सार्वभौम मातृभूमि चाहते हैं।
सिंधु देश की मांग की कहानी 1947 से जुड़ी है। भारत को आजादी मिलने के बाद सिंधु क्षेत्र पाकिस्तान में चला गया और पाकिस्तान के चार प्रांतों में से एक बन गया। अलग सिंधु देश की मांग 1967 से शुरू हुई जब पाकिस्तान सरकार ने यहां के निवासियों के ऊपर उर्दू भाषा थोप दी। यहां के लोगों ने इसका विरोध किया और इसके फलस्वरूप सिंधी अस्मिता का जन्म हुआ। इन्होंने अपनी भाषा और संस्कृति की दुहाई दी और लोगों को एकजुट किया। इस मुहिम में सिंधी हिन्दू और सिंधी मुसलमान दोनों शामिल हुए।
बांग्लादेश की आजादी के बाद सिंधु देश की मांग ने पकड़ी रफ्तार
इस आंदोलन को रफ्तार मिली 1972 में जब बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग हो गया। पूर्वी बंगाल के संघर्ष से प्रेरणा लेकर सिंधी राजनेता जी एम सैयद ने जिए सिंध तहरीक नाम का संगठन गठित किया और सिंधु देश का विचार अपने समर्थकों और सिंधु की स्वतंत्रता के साथ सहानुभूति रखने वाले लोगों के सामने पेश किया।
जी एम सैयद पाकिस्तान के पहले राजनेता थे जिन्होंने सिंध देश की स्वतंत्रता की मांग की थी। सिंध के खिलाफ नीतियों का विरोध करने के लिए पाकिस्तान ने उन्हें 30 साल तक कैद रखा। 26 अप्रैल 1995 को कराची में कैद के दौरान ही इनकी मृत्यु हो गई।