डीबीएस न्यूज, लखनऊ:
पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने के बाद कई मतदान अधिकारी कोरोना से संक्रमित हुए और कई लोगों की मौत हुई। ऐसे में योगी सरकार ने ऐलान किया था पंचायत चुनाव में अपनी सेवाएं दे चुके मृतकों के आश्रितों की सरकार आर्थिक मदद करेगी। लेकिन अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जान गंवाने वाले मतदान अधिकारियों के परिवार की मुआवजा राशि पर फिर से विचार करने का निर्देश दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों व कस्बों में कोरोना संक्रमण फैलने पर चिंता जताते हुए कहा है कि सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अब भी कोरोना महामारी से पीड़ित मरीजों के उपचार की पूरी सुविधाएं नहीं हैं। लोग इलाज के अभाव में मर रहे हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से छोटे कस्बों, शहरों और गांवों में सुविधाओं तथा टेस्टिंग का ब्योरा मांगा है।
मुआवजा 1 करोड़ रखने की मांग
बीते मंगलवार, सुनवाई के दौरान वकीलों ने दलील पेश कर कहा कि चुनाव ड्यूटी के दौरान भी सरकार को संक्रमण के खतरे की जानकारी थी। किसी भी मतदान अधिकारी ने अपनी मर्जी से ड्यूटी नहीं की, बल्कि शिक्षकों, अनुदेशकों और शिक्षामित्रों से जबरदस्ती ड्यूटी कराई गई थी। इसलिए सरकार को कोरोना से मरने वाले मतदान अधिकारियों को एक करोड़ रुपये मुआवजा देना चाहिए। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को मुआवजे की राशि पर फिर से विचार करने का निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की बेंच ने दिया है।
HC ने गांवों, कस्बो एवं शहरों में टेस्टिंग का मांगा ब्यौरा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्रामीण इलाकों, छोटे शहरों और कस्बों में कोरोना संक्रमण फैलने पर चिंता जताते हुए कहा है कि सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अब भी कोरोना महामारी से पीड़ित मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा हैं। उनके पास पूरी सुविधाएं नहीं हैं। लोग इलाज के अभाव में मर रहे हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से छोटे कस्बों, शहरों और गांवों में सुविधाओं तथा टेस्टिंग का ब्योरा मांगा है।
हर जिले में 48 घंटे में खोले जाएं शिकायत प्रकोष्ठ
कोराना के मरीजों को जीवन रक्षक दवाएं और सही इलाज न मिलने की शिकायतों की जांच के लिए कोर्ट ने 48 घंटे के भीतर हर जिले में कोविड शिकायत प्रकोष्ठ खोलने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट स्तर का न्यायिक अधिकारी, मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर व एडीएम रैंक के एक प्रशासनिक अधिकारी इस कमेटी के सदस्य होंगे। ग्रामीण इलाकों में तहसील के एसडीएम से सीधे शिकायत की जा सकेगी, जो शिकायतों को शिकायत समिति के सामने रखेंगे।


