रिपोर्टर रतन गुप्ता
डीबीएस न्यूज, सोनौली: नगर निकाय चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने गोरखपुर में मेयर पद के लिए अपने प्रत्याशी का चेहरा साफ कर दिया। गोरखपुर में काजल निषाद सपा के मेयर पद की प्रत्याशी होंगी। काफी समय से सपा के साथ जुड़ी काजल निषाद 2012 में कांग्रेस टिकट से गोरखपुर ग्रामीण की सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था। वहीं 2022 में सपा के टिकट पर लड़ा था।
गोरखपुर में नगर निकाय चुनाव को लेकर जहां एक तरफ सभी प्रत्याशी और पार्टी अपने समीकरण बनाने में व्यस्त हैं। वहीं समाजवादी पार्टी ने सीएम सिटी में अपने मेयर पद के चेहरे को साफ कर दिया। सपा की ओर से गोरखपुर में मेयर पद की उम्मीदवार काजल निषाद होंगी। लंबे समय से समाजवादी पार्टी से जुड़ी काजल 2022 के विधानसभा में भी कैंपियरगंज से चुनाव लड़ी थीं, लेकिन लखनऊ तक नहीं पहुंच सकी। इस सीट से उन्हें हारना पड़ा।
मेरे चौखट पर चलकर चारों धाम आए हैं, बजाओ ढोल स्वागत में, मेरे घर राम आये हैं। जी हां यह शब्द किसी और के नहीं बल्कि सपा की गोरखपुर मेयर पद की प्रत्याशी काजल निषाद की हैं। दरअसल हुआ यूं था जब पिछले महीने अखिलेश गोरखपुर के दौरे पर थे, तब वह काजल निषाद के घर पहुंचे। इस पर काजल निषाद ने भावुक होकर ट्वीट कर लिखा कि मेरे घर राम आए हैं। तभी से इस चीज की उम्मीद की जा रही थी। अखिलेश यादव जल्दी काजल निषाद को कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकते हैं।
2012 में कांग्रेस से लड़ा था चुनाव
2012 में काजल निषाद ने कांग्रेस से गोरखपुर ग्रामीण के सीट से चुनाव लड़ा था। इसमें काजल निषाद चौथे स्थान पर रही थी, तब भाजपा के टिकट पर 31.31 फीसदी वोट पाकर विजय बहादुर यादव चुनाव जीतकर विधायक बने थे। हालांकि काजल 2022 में भी समाजवादी पार्टी के बैनर तले विधानसभा में उत्तरी और गोरखपुर के कैंपियरगंज से चुनाव लड़ीं, जहां एक बार फिर काजल निषाद को हार मिली। इस बार भी हार बीजेपी के प्रत्याशी फतेह बहादुर सिंह पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने 42 हजार वोटों से जीत हासिल कर ली थी।
क्या काजल करेंगी मेयर सीट पर कब्जा?
समाजवादी पार्टी ने जिस तरह से गोरखपुर में मेयर पद के लिए अपने प्रत्याशी काजल निषाद को उतारा है, उसके समीकरण फिट बैठे या नहीं यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा। दूसरी ओर बीजेपी है, जहां अब तक मेयर की कुर्सी बीजेपी के खाते में ही जाती रही है। बस एक बार ट्रांसजेंडर ने बीजेपी से ये सीट 2001 में छीन ली थी। वहीं दूसरी ओर काजल निषाद हैं, जिनको दो बार विधानसभा के चुनाव में शिकस्त मिल चुकी है।


