रिपोर्ट- रतन गुप्ता
डीबीएस न्यूज, सोनौली: विश्व शांति का संदेश लेकर थाईलैंड के बौद्ध भिक्षु नेपाल के लुम्बिनी का दर्शन पूजन कर कोलकाता के लिए पैदल लौटते समय रविवार को परतावल पहुंचे। यहां लम्हुआ के समीप बागीचे में आराम के लिए अपना डेरा लगाया।
बौद्ध भिक्षुओं के दल में 94 यात्री शामिल हैं। 90 दिन पहले यह जत्था थाईलैंड से हवाई यात्रा कर कोलकाता पहुंचा। वहां से पैदल ही देश में भगवान बुद्ध से जुड़े पवित्र तीर्थ स्थलों का भ्रमण कर भगवान बुद्ध के जन्म स्थल नेपाल के लुम्बिनी पहुंचे। अभी तक यह बौद्ध भिक्षु कोलकता से बोधगया, वाराणसी, सारनाथ, प्रयागराज, कौशाम्बी, कानपुर, फरूखाबाद, हरदोई, सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, सोनौली होते हुए नेपाल के लुम्बिनी पहुंचे। वहां 11 दिन भ्रमण के बाद बौद्ध भिक्षु परतावल पहुंचे। नौरंगा टोला में लम्हुआ ताल के समीप जर्नादन कृष्ण त्रिपाठी के बागीचे में डेरा जमाया। सोमवार की भोर में बौद्ध भिक्षु पैदल ही भगवान बुद्ध के परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर के लिए रवाना होंगे।
बौद्ध तीर्थ स्थल पहुंचने के लिए गूगल मैप बना सहारा
श्रावस्ती में बौद्ध भिक्षु के मंदिर में 11 साल काम करने वाले व गाइड विश्वनाथ ने बताया कि बौद्ध भिक्षुओं का का यह समूह गूगल मैप के सहारे भारत के गांव खेत खलिहान के रास्ते पैदल यात्रा कर रहे हैं। परतावल मुख्य मार्ग छोड़ कर सिरसिया, बासपार, बनकटिया गांव होते हुए परतावल के नौरंगा बागीचे में पहुंचे। बौद्ध भिक्षुओं का टेंट व भोजन सामग्री पहुंचाने के लिए साथ में एक ट्रक भी है। उसमें 11 कर्मी भी हैं। जगह-जगह कर्मी टेंट लगाकर बौद्ध भिक्षुओं के विश्राम के लिए व्यवस्था मुहैया करा रहे हैं।
चौकी प्रभारी ने संभाली सुरक्षा व्यवस्था
चौकी प्रभारी प्रिंस कुमार का कहना है कि यात्रा के क्रम में परतावल पहुंचे बौद्ध भिक्षुओं के सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए दो गार्ड तैनात किया गया है। समय-समय पर उप निरीक्षक के साथ वह भी मौके पर जाकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा ले रहा हैं।
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