डीबीएस न्यूज, महराजगंज: भारत नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सोनौली कस्टम द्वारा अनुमति से अधिक गेंहू नेपाल भेज देने का मामला गरमाता जा रहा है। इसकी जांच भी शुरू हो गयी है। माना जा रहा है कि सोनौली कस्टम के कई अधिकारी इस मिलीभगत में नपेंगे।
आपको बता दें कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की एजेंसी है जो विदेशी व्यापार के संबंध में कानूनों को प्रशासित करती है।
नेपाल में गेहूं भेजने के नाम पर डायरेक्टर जनरल का फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) द्वारा 21 जुलाई 2023 को 817 मीट्रिक टन (एमटी) गेहूं नेपाल भेजने की अनुमति दी गई थी। लेकिन सोनौली कस्टम अधिकारी की मिलीभगत से लालाईन पैसिया के एक फर्म का गेहूं 817 मैट्रिक टन की जगह करीब 1300 मैट्रिक टन नेपाल भेज दिया गया है।
जबकि इस फर्म का डीजीएफटी दिल्ली द्वारा 817 एमटी गेहूं नेपाल भेजने का परमिट बनाया गया था, उसी फर्म से करीब 1300 एमटी नेपाल भेजा गया है। जबकि जो परमिट जारी हुआ है उस पर मात्र 817 एमटी ही गेहूं नेपाल भेजने की अनुमति दी गई है।
वहीं सूचना मिली है कि सोनौली कस्टम कार्यालय द्वारा जिस रजिस्टर को अपडेट किया जाता है, उस पर किस इंडस्ट्रीज का कितना मैट्रिक टन समान भेजा गया सब अंकित करना होता है। सूचना है कि इस अभिलेखों में भी गड़बड़ किया गया है।
फिलहाल मामले की जांच शुरू हो गयी है। नेपाल में गेहूं भेजने के नाम पर डीजीएफटी की अनुमति की वैधता 21 जुलाई 2025 तक के लिए है। सोनौली कस्टम के अधिकारी की मिलीभगत से उक्त फर्म का 817 एमटी की जगह करीब 1300 एमटी गेहूं नेपाल भेज दिया गया है। इसको लेकर व्यापारियों व कस्टम कर्मियों में हड़कंप मचा हुआ है। इस खेल पर चर्चाओ का बाजार गर्म हो रहा है।
वहीं इस मामले में नौतनवा कस्टम के डिप्टी कमिश्नर रमाकांत तिवारी का कहना है कि 817 एमटी गेहूं नेपाल भेजने की परमिट की जगह अधिक माल नेपाल जाने की जानकारी मिली है, इसकी जांच कराई जा रही है। जांच के बाद दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि इसके पहले भी कस्टम को लेकर तमाम चर्चाएं प्रकाश में आ चुकी है।
बीते 12 मार्च 2021 को सोनौली कस्टम पर एक शिकायत पर छापा मारकर जांच की गई थी। लखनऊ की सयुंक्त आयुक्त कस्टम विजिलेंस विभाग की टीम ने सोनौली कस्टम कार्यालय पर छापा मारकर तत्कालीन ड्यूटी के दौरान इंस्पेक्टर और अधीक्षक की तलाशी भी ली गयी थीं और कुछ अभिलेखों की जांच की थी उसके बाद टीम वापस लौट गई थी।
वही नौतनवां कस्टम कार्यालय में अभी 3 माह पहले ही एक व्यक्ति को लाभ पहुचाने के टमाटर का खेल उजागर हुआ है। जिसमे नौतनवा कस्टम विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर उच्चाधिकारियों की गाज गिरी है। पूरे प्रकरण को कस्टम आयुक्त लखनऊ आरती सक्सेना ने नौतनवां कस्टम अधीक्षक विशाल मेहता, निरीक्षक आदित्य शर्मा, जितेन्द्र कुमार, एसएस हैदर, मुख्य आरक्षी सूर्यभान यादव, आरक्षी लक्ष्मण मौर्य को तत्काल प्रभाव से आयुक्तालय लखनऊ से संबद्ध कर दिया गया था। एक साथ कस्टम के इतने अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ हुई बड़ी कार्रवाई से महकमे में हडकंप मच गया था।