डीबीएस न्यूज, नौतनवां: कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत मार्च के प्रथम पखवारे से ही विद्यालयों को बंद करने के निर्देश सरकार ने जारी कर दिए थे। कोरोना मामलों में इजाफा देखते हुए न्यायपालिका ने विद्यालयों को निर्देशित किया था कि स्कूलों को बंद रखने के साथ ही और पाल्यो के भविष्य को देखते हुए ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करें।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जनपद के नौतनवा नगर पालिका में फीस माफी को लेकर कथित अभिभावक संघ ने अपना आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया।
‘नो क्लास नो फीस’ के तर्ज पर कुछ लोगों का एक समूह इकट्ठा हुआ और देखते ही देखते एक सुबह नगर के लगभग अधिकतम घरों की दीवारों पर नो क्लास नो फीस के पर्चे चिपका देखने को मिला।
आपको बता दे कि फीस माफी को लेकर पहले ही सरकार ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया था। सरकार ने एक पत्रक जारी कर यह निर्देशित किया था कि विद्यालय जुलाई माह तक फीस के लिए अभिभावकों पर दबाव नही बनाएंगे व अप्रैल मई-जून की फीस आगामी महीनों में अलग-अलग किश्तों में ली जाएगी हालांकि सरकार का रुख स्पष्ट था कि कोई भी फीस माफ नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि कथित अभिभावक संघ नौतनवा ने बीते 9 अक्टूबर को उपजिलाधिकारी प्रमोद कुमार को फीस माफी को लेकर ज्ञापन सौंपा था। इसको संज्ञान में लेते हुए एसडीएम ने नौतनवा के कुछ प्रबंधकों व कथित अभिभावक संघ की बैठक आज सोमवार को तहसील सभागार में 11:00 बजे बुलाई थी। उक्त मीटिंग में दोनों पक्षों ने अपने अपने बातों को रखा।
क्या कहना हैं कथित अभिभावक संघ का-
कोरोना महामारी के मद्देनजर सरकार ने लॉकडाउन घोषित किया था जिसके कारण व्यापारियों व सामान्य जन पर खासा असर पड़ा है। कोरोना के कहर में लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं ऐसे में बिना क्लास के अभिभावक फीस देने में पूर्णता असमर्थ हैं। अभिभावक संघ नौतनवा फीस माफी को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटा चुका है।
क्या कहना हैं प्रबंधकों का-
कोरोना महामारी के चलते सरकार के सभी गाइडलाइंस का हमने सहर्ष पालन किया है। सरकार द्वारा प्राप्त निर्देशों के दृष्टिगत विद्यालय सभी नियमों को पारदर्शिता से पालन कर रहे हैं। जबकि कुछ कथित लोगों के द्वारा फीस माफी के विषय में राजनीति करना निंदनीय है। अपनी राजनीतिक जीवन को चमकाने के लिए कहीं ना कहीं कुछ कथित लोग विद्यालयों और अभिभावकों के बीच में दरार उत्पन्न कर रहे हैं जो समाज के लिए अभिशाप साबित हो सकता है। प्रबंधकों ने कहा कि विद्यालय में शिक्षकों का वेतन सहित कई अन्य खर्च है जिसका वहन करना पड़ता है। इसे फीस माफ करना न्यायोचित नहीं होगा।
वहीं उपजिलाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि प्रबंधकों और फीस माफी की ज्ञापन लेकर आए अभिभावक संघ को एक मंच देने के उद्देश्य से बैठक बुलाई गई थी ताकि प्रत्यक्ष रूप से दोनों पक्ष बैठकर कोई निष्कर्ष निकाल लें। हालांकि बैठक में दोनों पक्षो ने अपने-अपने बातें रखे हैं।
कुल मिला जुला कर यह साफ है कि फीस माफ नहीं होगी और विद्यालय सरकार द्वारा जारी निर्देशों का ही पालन करेंगे।