डी बी एस न्यूज: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने सवर्णों को आरक्षण का ऐलान बड़ा दांव चल दिया है साल 2019 की पहली कैबिनेट बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए मोदी सरकार पिछड़े सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने जा रही है इसके लिए संविधान में संशोधन की तैयारी कर ली गई है ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आरक्षण के दायरे में कौन आएगा और कौन नहीं।
सूत्रों के मुताबिक पिछड़े सवर्णों को आरक्षण देने के लिए सरकार ने कुछ पैमाने बनाए हैं आरक्षण सिर्फ उन्हीं सवर्णों को मिलेगा जिनकी वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम होगी. इसके अलावा आरक्षण के हकदार वे ही रहेंगे जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन होगी सूत्रों के मुताबिक EWS कैटेगरी भी स्पष्ट कर दी गई है यानी आरक्षण का फायदा किसे मिलेगा, इसका भी निर्धारण कर दिया गया है।
आरक्षण के दायरे में ये सवर्ण आएंगे
-आठ लाख से कम आमदनी हो
-कृषि भूमि 5 हेक्टेयर से कम हो
-घर है तो 1000 स्क्वायर फीट से कम हो
-निगम में आवासीय प्लॉट है तो 109 यार्ड से कम जमीन हो
-निगम से बाहर प्लॉट है तो 209 यार्ड से कम जमीन हो.
संविधान में संशोधन करना होगा
मोदी सरकार सवर्ण आरक्षण आर्थिक आधार पर ला रही है, जिसकी अभी संविधान में व्यवस्था नहीं है. इसलिए सरकार को आरक्षण लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा. संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में बदलाव किया जाएगा. दोनों अनुच्छेद में बदलाव कर आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा. वहीं सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने सरकार के इस फैसले को आम जनता के साथ मजाक बताया है. उन्होंने कहा कि ये फैसला सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए है. उन्होंने सवाल किया कि जब साधारण बिल पास नहीं होता तो ये कैसे पास हो सकेगा।
कांग्रेस
कांग्रेस की अमी याज्ञनिक का कहना है कि इस प्रकार के आरक्षण पर काफी तकनीकि दिक्कतें हैं, लोकसभा चुनाव से पहले इस प्रकार आरक्षण देने का क्या मकसद है ये भी देखना होगा. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बिल आने और पास होने में काफी समय लग सकता है. सरकार इस मुद्दे को लेकर सीरियस नहीं है.
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने इस फैसले का स्वागत किया है. उनका कहना है कि सरकार का ये फैसला काफी अच्छा है, इससे समाज के एक बड़े तबके को लाभ होगा. उन्होंने कहा कि सवर्णों में भी कई ऐसे लोग हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं.
केटीएस तुलसी
कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने मोदी सरकार के इस फैसले को मजाक बताया है. उन्होंने कहा कि ये लोग जनता को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं, इस बिल को ये पास भी नहीं करवा सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई साधारण बिल पास नहीं हो पा रहा है तो फिर ये बिल कैसे पास हो पाएगा.
मनोज झा, RJD
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता मनोज झा का कहना है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस फैसले को लिया गया है. ये सिर्फ एक चुनावी जुमला है.
हार्दिक पटेल
पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने सवाल उठाया है कि क्या ये सिर्फ एक चुनावी जुमला ही तो नहीं है. उन्होंने कहा कि पिछले काफी दिनों से संसद चल रही थी ऐसे में आखिरी दिनों में इस प्रकार का फैसला करना, ये सिर्फ एक सरकार का नया नाटक है.
शिवप्रताप शुक्ला
केंद्रीय मंत्री शिवप्रताप शुक्ला का कहना है कि इस तरीके का फैसला सिर्फ 56 इंच सीने वाला व्यक्ति ही ले सकता है. ये एक ऐतिहासिक फैसला है.
हरीश रावत
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि बहुत देर कर दी मेहरबां आते-आते, उन्होंने कहा कि ये फैसला चुनाव को देखते हुए किया गया है. उन्होंने कहा कि अब वो चाहे जो भी जुमला दे लें लेकिन ये सरकार बचने वाली नहीं हैं।